बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
अथवा
"निराला छायावाद के प्रतिनिधि कवि हैं। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
निराला के काल में संगीतिक लयता और पौरुष का प्रचण्ड स्वर एक साथ उत्कृष्ट शिल्प द्वारा अभिव्यक्ति हुआ है। इस कथन की साथर्कता सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
छायावादी काव्य अनेक दृष्टियों से पूर्ववर्ती काव्य से भिन्न है। रहस्यात्मकता, प्रकृति प्रेम, राष्ट्रीय चेतना, विद्रोही भावना, मानवतावाद, सौन्दर्यानुभूति तथा शैलीगत विशेषताएँ छायावाद की अपनी नवीन विशेषताएँ हैं। कवि निराला के काव्य में इन सभी विशेषताओं का विनियोग हुआ है। निराला जी महान् क्रान्तिकारी एवं ओजस्वी कवि थे। वे हिन्दी की महान् विभूति थे। उनका जीवन जितना संघर्षमय रहा उतना हिन्दी साहित्य के किसी अन्य कवि का नहीं रहा, परन्तु फिर भी वे डिगे नहीं, वरन् अपने आदर्शों पर बराबर डटे रहे। उन्होंने हिन्दी काव्य का नवीन श्रृंगार किया एवं छन्द, भाषा, शैली आदि सबको नवीनता प्रदान की। मानवीय क्रिया-कलापों, व्यापारों तथा प्रकृति के विविध चित्र उतारने में निराला जी पूर्ण दक्ष थे। उनकी भाव एवं कलापक्षीय विशेषताएँ निम्न हैं-
(क) भावपक्षीय विशेषताएँ
(1) देश भक्ति के स्वर - निराला ने अपने काव्य में देश के सांस्कृतिक पतन की ओर व्यापकता से संकेत किया है। उनका मत है कि देश के भाग्याकाश को विदेशी शासन के राहु ने अपनी कालिमा से आच्छादित कर रखा है। वे चाहते हैं कि देश का भाग्योदय हो और भारतीय जनता आनन्दविभोर हो उठे। भारती-वन्दन, 'जागो फिर एक बार', 'छत्रपति शिवाजी का पत्र आदि कविताएँ निराला जी देश भक्ति को उजागर करते हैं।
(2) सामाजिक उत्थान - कवि समाज सुधार सम्बन्धी विचार भी अपनी कविता में व्यक्त करता है। समाज सम्बन्धी रूढ़ियों को दर्शाता हुआ कवि कहता है -
ये कान्यकुब्ज - कुल कुलांगार
खाकर पत्तल में करें छेद
इनके कर कन्या अर्थ खेद
इस विषय बेलि में विष ही फल
समाज कल्याण के लिए कवि गरीब किसान के उद्धार हेतु क्रान्ति का आह्वान करता है। समाज में नयी चेतना, नया जीवन, नया उन्मेष भरने को कवि आतुर है। जीर्ण बाहु किसान की आतुरता को कवि इस प्रकार व्यक्त करता है -
जीर्ण, बाहु, शीर्ण शरीर, तुझे बुलाता कृषक अधीर
ऐ विप्लव के वीर
चूस लिया है उसका सार
हाड़ मात्र है आधार
ऐ जीवन के परावार।
(3) विद्रोहक स्वर - निराला जी अन्य छायावादी कवियों की अपेक्षा कहीं अधिक विद्रोही एवं स्वच्छन्दता प्रेमी थे। वह तो जीवन-भर विद्रोह एवं संघर्ष ही करते रहे।
पाश्चात्य रोमाण्टिक साहित्य में इस प्रकार के काव्य की प्रबलता भी उसी का प्रभाव निराला के काव्य पर पड़ा, विद्रोह उनका अपना निजी भी था। सामाजिक संघर्ष करता कवि अन्ततः विद्रोही हो गया है।
(4) रहस्य भावना - निराला जी की कविताओं में रहस्यवादी भावना, जिज्ञासा और कौतूहल के रूप में प्रकट हुई है।
(5) लोक-कल्याण - निराला जी चाहते थे समाज का प्रत्येक प्राणी सुखी रहे। 'सरस्वती वन्दना' कविता में उन्होंने यही भाव प्रकट किया है कि मानव समाज में नवीन शक्तियों का उदय हो और प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्त्तव्य का पालन करे।
(6) वैयक्तिकता - मानवतावाद छायावादी कवियों की प्रमुख विशेषता है। उन्होंने समाज के चित्रों के साथ व्यक्तिगत अनुभूतियों, विचारों, दर्शनों तथा उत्कर्ष - अपकर्ष की भी भावनाओं को उजागर किया है। लगभग सभी कवियों में आत्मा की पुकार सुनायी पड़ती है। प्रसाद का 'आँसू' पन्त की 'ग्रन्थि, महादेवी वर्मा की 'वेदना' में मानवता दृष्टिगत है। इसी प्रकार निराला के काव्य जैसे 'राम की शक्ति पूजा', 'स्नेह निर्झर बह गया है', 'सरोज स्मृति', 'जूही की कली में कवि की वैयक्तिकता समाहित है।
(7) नैराश्य एवं करुणा के स्वर - छायावादी काव्य में निराशा-दुःख, सन्ताप-करुणा, कष्ट-क्लेष की पर्याप्त विवृत्ति हुई है। वेदना और कष्ट ही कवि के जीवन का सर्वस्व है। महादेवी की 'नीर भरी दुःख बदली प्रसाद की घनीभूत पीड़ा' तथा पन्त का वियोगी होगा पहला कवि रूप व्यक्त हुआ है तो "निराला क्यों न नैराश्य एवं करुणा व्यक्त करें।
(8) प्रकृति चित्रण - निराला जी की कविताओं के अन्तर्गत् प्रकृति चित्रण का अपना विशिष्ट स्थान है। उनके प्रकृति सम्बन्धी चित्र बड़े ही सजीव हैं। सन्ध्या सुन्दरी' का एक चित्र दृष्टव्य है-
"दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह सन्ध्या-सुन्दरी परी-सी
धीरे- धीरे-धीरे '
निराला ने प्रकृति पर सर्वत्र चेतना का आरोप किया है। उनकी दृष्टि में बादल प्रपात, यमुना, झरना आदि सभी प्राकृतिक उपादान चेतन हैं।
(9) रस योजना - निराला जी ने अपने काव्य में श्रृंगार, वीर, रौद्र, करुण आदि रसों का सफल प्रयोग किया है उनकी काव्य कृति 'जूही की कली ने तो हिन्दी साहित्य को श्रृंगार की मधुर अनुभूति से झंकृत ही कर दिया है। उनकी कविता में सामान्यतया श्रृंगार और वीर रस का समन्वय भी हुआ है। 'जागो फिर एक बार इसका ज्वलन्त उदाहरण है -
जागो फिर एक बार !
प्यारे जागते हुए हारे सब तारे तुम्हें
अरुण पंख तरुण-किरण
खड़ी खोल रही है द्वार -
जागो फिर एक बार !
(ख) कलापक्षीय विशेषताएँ
भावपक्ष की भाँति निराला जी का कलापक्ष भी बहुत पुष्ट है। उन्होंने हिन्दी कविता को नवीन बिम्ब और नवीन छन्द प्रदान किए हैं। निराला जी की कलापक्षीय विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
( 1 ) कोमलकान्त भाषा - निराला जी की भाषा संस्कृतनिष्ठ है। कोमल कल्पना के प्रयोग के समय उनकी भाषा कोमलकान्त पदावली की हो जाती है किन्तु पौरुष और ओज प्रदर्शन में निराला की भाषा भी ओज गुण से युक्त होती है। निराला जी शुद्ध खड़ी बोली के कवि हैं, उनकी भाषा में नीरसता नहीं है अपितु भाषा में संगीत की मधुरिमा विद्यमान है। मुहावरों के प्रयोग ने निराला की भाषा में नई व्यञ्जना- शक्ति भर दी है। जहाँ दर्शन, चिन्तन व विचार तत्व प्रधान हो गया है वहाँ निराला की भाषा दुरुह भी हो गयी है यथा- 'तुम और मैं' कविता में कवि की भाषा दुरूह है -
"तुम तुंग हिमालय शृंग
और मैं चञ्चल गति - सुर सरिता
(2) अलंकार विधान - निराला ने अपने काव्य में अलंकारों का प्रयोग आवश्यकतानुसार यथास्थान किया है। निराला जी अलंकारों को काव्य का साधन मानते हैं। निराला ने अलंकारों का प्रयोग चमत्कार प्रदर्शन के लिए नहीं किया। अनुप्रास सांगरूपक सन्देह, उपमा, उत्प्रेक्षा, यमक आदि अलंकारों का प्रयोग निराला ने किया हैं। रूपक और उपमा का संयुक्त रूप से प्रयोग उनकी प्रसिद्ध कृति 'सन्ध्या सुन्दरी में दृष्टव्य है -
"दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतरी रही है
वह सन्ध्या-सुन्दरी परी-सी
धीरे- धीरे-धीरे।"
यहाँ मानवीकरण भी है। छायावादियों का प्रिय अलंकार मानवीकरण है। निराला ने इसका भी प्रयोग पूर्ण रूप से किया है।
(3) छन्द योजना - निराला जी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रायः मुक्त छन्द का . प्रयोग करते हैं। निराला जी ने बन्धनयुक्त छन्दों को कभी नहीं अपनाया और अपनी ओजस्वी वाणी से यह सिद्ध कर दिया कि छन्दों का बन्धन व्यर्थ है।
(4) शैली - जिस प्रकार निराला छन्द मुक्त कवि हैं उसी प्रकार उनकी काव्य शैली भी मुक्त है।, उनकी काव्य शैली उनकी अपनी जीवन शैली है। स्वयं निराला कहते हैं -
मैंने 'मैं' शैली अपनायी,
देखा एक दुःखी निज भाई।
दुःख की छाया पड़ी हृदय में
झट उमड़ वेदना आई।
|
- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।